शुक्रवार आरती (Friday aarti)

Aarti Saptwar Aarti Collection
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परिचय

शुक्रवार का दिन पारंपरिक रूप से माँ संतोषी को समर्पित माना जाता है। संतोषी माँ भक्ति, संयम और साधना के द्वारा हृदय में संतोष और घर में समृद्धि लाने वाली देवता मानी जाती हैं। अनेक भक्त विशेष रूप से शुक्रवार का व्रत रखते हैं — साधारणतः व्रत में गुड़‑चना का भोग और कथा‑प्रसंग का पालन होता है। इस व्रत का अनुसरण श्रद्धा, संयम और नियम के साथ करना चाहिए: सुबह सरसफाई, ध्यान/प्रार्थना, आरती‑कथा का पाठ और शाम को गुड़‑चना से प्रसाद बनाकर अर्घ्य देना प्रचलित है। परंपरा के अनुसार सात शुक्रवार या लगातार कई शुक्रवारों का उपवास करने से मनोवांछित फल, दुखों का निवारण और परिवार में सुख‑शांति की प्राप्ति होती है। ध्यान रहे कि किसी भी स्वास्थ्य‑समस्या में व्रत डॉक्टर की सलाह के बिना न रखें — भक्ति का अर्थ आत्म‑विनय और विवेक है। अब आरती पढ़ो—मन में श्रद्धा और प्रेम बनाकर।

शुक्रवार आरती (Friday aarti)

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॥ आरती — श्री संतोषी माता की ॥

जय संतोषी माता, मैया जय संतोषी माता।
अपने सेवक जन को, सुख सम्पत्ति दाता॥
जय संतोषी माता॥

सुन्दर चीर सुनहरी, माँ धारण कीन्हों।
हीरा पन्ना दमके, तन श्रृंगार कीन्हों॥
जय संतोषी माता॥

गेरू लाल छटा छवि, बदन कमल सोहे।
मन्द हंसत करुणामयी, त्रिभुवन मन मोहे॥
जय संतोषी माता॥

स्वर्ण सिंहासन बैठी, चंवर ढुरें प्यारे।
धूप दीप मधुमेवा, भोग धरें न्यारे॥
जय संतोषी माता॥

गुड़ अरु चना परमप्रिय, तामे संतोष कियो।
संतोषी कहलाई, भक्तन वैभव दियो॥
जय संतोषी माता॥

शुक्रवार प्रिय मानत, आज दिवस सोही।
भक्त मंडली छाई, कथा सुनत मोही॥
जय संतोषी माता॥

मन्दिर जगमग ज्योति, मंगल ध्वनि छाई।
विनय करें हम बालक, चरणन सिर नाई॥
जय संतोषी माता॥

भक्ति भावमय पूजा, अंगीकृत कीजै।
जो मन बसे हमारे, इच्छा फल दीजै॥
जय संतोषी माता॥

दुखी दरिद्री, रोग, संकट मुक्त किये।
बहु धन-धान्य भरे घर, सुख सौभाग्य दिये॥
जय संतोषी माता॥

ध्यान धर्यो जिस जन ने, मनवांछित फल पायो।
पूजा कथा श्रवण कर, घर आनन्द आयो॥
जय संतोषी माता॥

शरण गहे की लज्जा, राखियो जगदम्बे।
संकट तू ही निवारे, दयामयी अम्बे॥
जय संतोषी माता॥

संतोषी माता की आरती, जो कोई जन गावे।
ऋद्धि‑सिद्धि, सुख‑सम्पत्ति, जी भरकर पावे॥
जय संतोषी माता॥